हम अपने संसाधनों को कैसे साधते और सँभालते हैं, यही तय करता है कि हम विरासत रचेंगे या चेतावनी बनेंगे- दो घोड़ा कंपनियों की कहानी





एक समय की बात है, दो घोड़ा कंपनियां थीं — रुस्तम और चेतक। दोनों के पास अलग-अलग उम्र और नस्ल के घोड़े थे, और दोनों ही दौड़ों में भाग लेते थे।प्रदर्शन औसत था — न बहुत अच्छा, न बहुत बुरा।

प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए, दोनों कंपनियों ने समीक्षा और प्रबंधन टीम बनाई और रणनीतियाँ तैयार कीं।

इसके बाद जो हुआ, वह सोचने लायक है।

प्रकरण A — रुस्तम कंपनी

समीक्षा के बाद, रुस्तम कंपनी ने ये रणनीतियाँ अपनाईं —

  • विजेता घोड़ों को लेकर और अधिक दौड़ों में भाग लेना।
  • इन विजेता घोड़ों के चारे  का  बजट घटाना, यह सोचकर कि वे मजबूत हैं और अपने दम पर संभाल लेंगे।
  • जो घोड़े अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे, उन्हें वैसे ही छोड़ देना — कम चारे और बिना किसी काम या प्रशिक्षण के।

शुरुआत में योजना सफल लगने लगी — डेढ़ महीने तक कंपनी पहले से ज्यादा दौड़ें जीतती  रही ।

लेकिन धीरे-धीरे विजेता घोड़े थक गए, कुछ बीमार पड़ गए, और प्रदर्शन तेज़ी से गिरने लगा।

समीक्षा समिति ने रिपोर्ट दी कि हालांकि  तीजे भी गिर रहे हैं लेकिन खर्चे भी कम  हो रहे हैं। एक साल के अंत तक, रुस्तम कंपनी सभी दौड़ें हार गई।

एक स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी ने सलाह दी कि नए घोड़े लाए जाएं, जिनमें सुधार की संभावना है उनका इलाज हो, और बाकी को बेच दिया जाए।लेकिन कंपनी के पास निवेश के लिए पैसे नहीं बचे थे और धीरे-धीरे कंपनी दिवालिया हो गई ।

प्रकरण B — चेतक कंपनी

चेतक कंपनी ने एक अलग रास्ता अपनाया। उनकी रणनीतियाँ थीं —

  • विजेता घोड़ों के साथ अधिक दौड़ों में भाग लेना।
  • इन विजेता घोड़ों के लिए चारा और प्रशिक्षण का बजट बढ़ाना, ताकि उनकी क्षमता और निखरे।
  • औसत या अस्थायी रूप से कमज़ोर प्रदर्शन करने वाले घोड़ों के लिए भी चारा, इलाज और प्रशिक्षण में वृद्धि करना।
  • जो घोड़े कभी दौड़ नहीं जीत सकते, उन्हें पहचानकर नए काम देना — जैसे घोड़ा-गाड़ी सेवा शुरू करना।
  • जो घोड़े रिटायर हो चुके थे या अब सक्षम नहीं थे, उन्हें सम्मानपूर्वक रखा गया — उनके लिए इलाज, अच्छा चारा और आराम की व्यवस्था की गई, उनके पुराने योगदान के सम्मान में।

परिणाम चौंकाने वाले थे। एक महीने के भीतर चेतक ने सभी दौड़ें जीतने लगी  और औसत घोड़ों ने भी पुराने चैंपियनों को हरा दिया। घोड़ा-गाड़ी सेवा से कंपनी की आय में और बढ़ोतरी हुई।धीरे-धीरे, चेतक उद्योग की सबसे सफल और पेशेवर तरीके से संचालित घोड़ा कंपनी बन गई।

यह कहानी घोड़ों की नहीं है, न ही किसी विशेष संस्था या कार्यस्थल की —लेकिन जो समानता है, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।



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