युवा शक्ति




ऐ ! युवा  शक्ति अब जाग तू !
दिखा कर्तव्यों के प्रति, अनुराग तू !
दुनिया में कुछ भी अगम नहीं
कुछ अगम है क्योंकि तू अभी
वहाँ तक गया नहीं |
जो आज अगम सा लगता है;
वो कल सुगम कहलायेगा |
बस केवल चलने की देरी है;
तू सबको राह दिखायेगा|
                    जरूरी नहीं की हर जगह तुझे पदचिन्ह मिलें;
                    मगर आज अगर तू बिन पद चिन्ह चला
                    कल दुनिया तेरे पदचिन्ह अपनाएगी
                    युगों युगों तक वह तेरे गुणगान को गाएगी
                    सो ऐ युवा शक्ति अब जग तू  !
राष्ट्रवाद  वाद ही केवल अपना धर्म होगा
 नहीं इससे बढ़कर कोई कर्म होगा
अखिल विश्व है अब हमें देख रहा
बोलो क्या मैंने गलत कहा !
                   जो पहले पाबन्दी लगते थे
                   अब वो हमसे संधि करते  हैं
                   यह तेरे कर्मों का फल ही है
                  की जो पहले हमें डराते  थे अब
                   वो अपनी गति से डरते हैं!
पर यह वक्त नहीं इतराने का
यह वक्त है  आगे आने का
अन्य कर्मों को त्याग  कर
अब राष्ट्रवाद अपनाने का
हम सब के हाथ  मिलाने का
पिछड़ों को आगे लाने  का
                            इतिहास सिखाता है हमको
                            जब दुनिया शोध कराती  थी
                            तब हम आपस में लड़ते थे
                            वेश्यालयों में जा करके
                            खूब रंगरलियाँ करते थे
है आज हमें सौगंध की
 हम वो इतिहास नहीं दुहराएंगे
एक बार परतंत्र तो हो ही चुके
अब अपने को हर भांति स्वतंत्र कराएँगे
पिछड़ो को आगे लायेंगे
 अखिल  राष्ट्र  में ज्ञान का अलख  जगायेंगे
पर्यावरण सूधार में भी हम नयी क्रान्ति लायेंगे
पहले विश्व लिखता था इतिहास अपना
अब हम  अपनी पहचान बनायेंगे
               अब वो दिन भी दूर नहीं जब
               दुनिया वाले अपने पदचिन्ह अपनाएंगे
                ऐ युवा शक्ति अब जाग  तू ! ....... 



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