निस्तब्ध चीखें

सुन पाता हूँ , निरन्तर 
दसों दिशाओं से आती हुई ,
कभी निस्तब्ध, तो कभी
ध्वनित बिल्कुल प्रखर भाव,
कभी प्रत्यक्ष और प्रकट
बहुधा नेपथ्य से और परोक्ष,
श्वासों के अनुकम्पनों की,
प्रतिध्वनि, गूंज और ,
जीवितों के जीवन से
निरन्तर एक अनुनाद।

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