तुम- जीवन सी

तुम ! 
कभी पूर्णतः...मेरी होना मत, 
वरना फिर... मैं चाहूँगा क्या ! 
रहना इक आरजू अधूरी सी,
इक चाहत... ना मुकम्मल सी, 
हर रोज़... एक नई ख्वाहिश सी !
तुम रहना मेरे पास,
बस मेरी ज़िन्दगी सी.

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