मैं अक्सर हार जाता हूँ।

मैं अक्सर हार जाता हूं , 
तुम्हे बार-बार पाने को,
और तुम जो जीत जाती हो,
तो मैं भी जीत जाता हूँ।
एक मुस्कुराहट सी, जो 
फ़िज़ा में फैल जाती है, 
 मैं भी महक के झूम जाता हूँ ।

मैैं अक्सर डूब जाता हूँ,और
तुम मुझमें तैर जाती हो ।
मैं शायद, बुड्ढा होने की 
हद तक, बड़ा हो गया हूं ,
और तुम छोटी बच्ची  सी
 सुंदर और कोमल ....।
 
तुम्हारे जीत जाने से
मैं दुबारा खेल पाता हूं।...
जीवन  में जीवंतता सी,
हमेशा जीतती रहना ,
की मै इसी बात से
निरन्तर जीवंत होता हूँ।


Comments

Popular posts from this blog

प्राचीन सनातन भारतीय दर्शन और इसकी प्रासंगिकता

नारी

तुम अच्छी , मैं ठीक- ठाक ।