पथिक -Seeking Experiences, Contemplating Existence, & Embracing The Path of a Wanderer.


हम में, तुम में, सब में,
थोड़ा-बहुत हूँ,
जीवन से मृत्यु के
बंधनों के बीच,
कायांतरण की इस
अनवरत यात्रा में,
निर्बंध मुमुक्षा का यात्री हूँ।

अनिश्चितताओं के बीहड़ में,
उम्मीदों की मशालें लिए,
आशंकाओं और उम्मीदों के मध्य,
संभावनाओं की पगडंडियों पर,
दो-चार कदम चलता हुआ,
एक पथिक हूँ।

यह चलना हमेशा
आगे बढ़ना नहीं होता।
आगे जाने में एक दिशा होती है।
इस बीहड़ में, हर कदम पर
असंख्य दिशाएँ फूटती हैं,
जैसे मन के आँगन में
अनंत इच्छाएँ, कामनाएँ,
आकांक्षाएँ, आशंकाएँ, और
संभावनाएँ प्रस्फुटित होती हैं।

मन की ये अंतहीन स्थितियाँ
अनगिनत राहों का होना ही है,
और अनगिनत राहों का होना
दो पैरों और एक सिर के लिए
दिशा न होने जैसा ही है—
बेबस और बेचैन करने वाली,
एक किंकर्तव्यविमूढ़ता लिए।

तब इस पथिक का विवेक,
अनिश्चितताओं के इस बीहड़ में,
उम्मीदों की मशालें लिए,
आशंकाओं और उम्मीदों के मध्य
संभावनाओं के रथ का
सारथी बनता है।

सही-गलत का चुनाव करता है;
मगर यह सही-गलत
सार्वभौमिक या निरपेक्ष नहीं,
वरन् पूर्णतः सापेक्ष होता है।

यह चयन होता है—
व्यक्तिगत; परिस्थितियों,
अनुभवों, आकांक्षाओं,
आत्मविश्वास, नैतिक मूल्यों,
अनुशासन और नियंत्रण का।
वस्तुनिष्ठ दृष्टि में, केवल एक दास।

और जब विवेक, मनःस्थितियों से
ऊपर उठकर, अपनी प्राथमिकताओं
के आलोक में निर्णय करता है,
तब अनंत दिशाएँ
आशंकाओं और उम्मीदों
के मध्य एक होने लगती हैं।

और अब पथिक चल पड़ता है।
यह चलना आगे बढ़ना होता है,
ऊँचा जाना होता है, किन्तु
वस्तुनिष्ठ अर्थों में पूर्णतः
हमारी प्राथमिकताओं के सापेक्ष।

जब प्राथमिकताएँ व्यक्ति की परिधि
को पार कर समावेशी और सर्वांगीण
होते हुए समष्टि के निमित्त हो जाती हैं,
तब इस पथिक का चलना
सच्चे अर्थों में एक निरपेक्ष सफलता होती है।
उसके पग, अब उसके पदचिह्न बन जाते हैं।
#ASeeker • #AThinker • #AWanderer

#AdvaitaVedanta #Existentialism #Camus #Stoic Philosophy  #MarcusAurelius #Epictetus #BhagavadGita  #NonDuality #Uncertainty #FreeWill #Dharma #KarmaYoga #Philosophy #Existence 


Comments

Popular posts from this blog

Which God or Religion is real (question which has caused millions to die)

प्राचीन सनातन भारतीय दर्शन और इसकी प्रासंगिकता

क्रोध अवलोकन, मूल्यांकन एवं स्वाभाविक प्रबंधन