दरख़्त
घर से दफ्तर के रास्ते में,
कुछ पुराने सुन्दर दरख़्त थे,
उनमें से एक गिर गया दो बच्चों पर,
और एक की जान चली गई ।
दीमक लग गए थे उसमें।
अब कई पेड़ काट दिए गए हैं।
जीवन के सघन वन में भी,
समय की परतों में जमे अनुभव
और स्मृतियों आश्रय देते हुए,
कई तरह के दरख़्त होते हैं,
और उतनी ही तरह के दीमक भी।
रिश्तों के भी दरख़्त जमते हैं, जिसमें,
विश्वास और समय की खाद का अभाव
कुछ-कुछ दीमक लगने सा ही है,
ये भी टूटने लगते हैं, एक समय के बाद।
Thought provoking .Abhay:)
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