Posts

Showing posts from September, 2025

हिंदी का वैश्विक विकास : संभावनाएँ और मार्ग

Image
भाषा संवाद का माध्यम मात्र नहीं, बल्कि विचार से व्यवहार, व्यवहार से संस्कार और संस्कारों से संस्कृति की यात्रा का अनवरत पथ है। भाषा केवल संप्रेषण का साधन नहीं, बल्कि वह जीवन-धारा है जो व्यक्ति और समाज को जोड़ती है तथा सभ्यता को दिशा देती है। जहाँ तक हिंदी के वैश्विक विकास का प्रश्न है, यह तभी संभव होगा जब हम इसे भावनात्मक आग्रह से आगे बढ़ाकर व्यावहारिक आवश्यकता, आधुनिक सृजन और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के अनुरूप विकसित करें। इसके लिए कुछ ठोस कदम सहायक हो सकते हैं : विश्वस्तरीय साहित्य का सृजन- हमें हिंदी साहित्य को उस ऊँचाई तक ले जाना होगा जहाँ वह वैश्विक सम्मान अर्जित कर सके। जैसे गैब्रियल गार्सिया मार्क्वेज़ ने One Hundred Years of Solitude स्पेनिश में लिखकर उसे विश्व साहित्य का रत्न बना दिया, वैसा ही प्रयास हमें हिंदी में करना होगा। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हर वर्ष हिंदी साहित्य से नोबेल पुरस्कार, बुकर पुरस्कार और अन्य वैश्विक सम्मान प्राप्त हों। हिंदी साहित्य पहले ही अनेक अमर कृतियों से समृद्ध है। जिनमें से कुछ विशेष उल्लेखनीय हैं— गोदान – प्रेमचंद,गबन – प्रेमचंद,मैल...